Thursday 26 May 2011

An ode to my rock-climbing buddy Sanju :)

मै जानता हूँ एक लडके को ...
उससे पत्थारोसे लगाव है पर वोह पत्थर दिल नहीं.
वोह है मेरा दोस्त हर तरह की भपोटिंगमें...
वोह है मेरा गाईड : जीवनमें ,जंगलमें और जीवनके जंगलमे .
वोह है मेरी दोस्ती के खजाने का एक बेशकीमती हीरा...
लेकिन उसे मैंने यह अब तक बताया नहीं है. 
जब हम दोनों बैठे होंगे सह्याद्रीके और एक शिखरपर...
सर पर करारी धुप लिए और पैरोंतले होगा सारा जहाँ 
तब शायद मै उसे यह बात बता दूंगा !

-नील 


सुख म्हणजे काय असतं ?

सुख म्हणजे काय असतं ?

एक स्वीमिंगची चड्डी आणि खाडी
एक तळलेला मासा आणि माडी :)
मेंढीकोटाचा डाव आणि चीम्बोरीचा बाव
खुर्चीतली झोप आणि भाताचा टोप
समुद्राची गाज आणि केसांतली वाळू
दोस्तीतला वितळता क्षण हळू हळू हळू

-नील
-Pristine beaches of Malavn here I come